2 best hindi stories for kids in hindi | jadui chakki ki kahani | जादुई चक्की


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  1. हमेशा सोच समझ के कदम रखना चाहिए
  2.  jadui chakki ki kahani | जादुई चक्की
2 best hindi stories for kids in hindi | jadui chakki ki kahani | जादुई चक्की


हमेशा सोच समझ के कदम रखना चाहिए। hindi story for kids best moral stories






बहुत समय पहले की बात है।   किसी  jungle ki kahani जंगल मैं एक सिंह रहता था  एक दिन सिंह को एक ऊंट दिखाई दिया। उसने अपने सेवक तोते से पूछा ये कोंन सी जिव है पता करो।
तोते ने सिंह से कहा स्वामी ये ऊंट है और ये ग्रामवासी है। तोते ने सिंह से कहा स्वामी आप इसे मार डालो तभी सिंह ने कहा मैं अतिथि को नहीं मरता और  वैसे भी आसहये  को नहीं मरना चाहिए चाहे वो दुश्मन ही क्यों न हो।



सिंह ने टूटते से कहा जाओ उसे यह बुला के लेके आओ मैं उससे पूछुंगा यह आने का कारन। तोता ऊंट के पास गया और उसे सिंह के पास जानो को कहा। ऊंट सिंह के पास आया और प्रणाम सिंह  कहा और वहीँ बैठ गया।

सिंह ने ऊंट से कहा तुम यही जंगल मैं मेरे साथ रह सकते हो तुम्हे कोई जरूरत नहीं ग्रामवासी का काम करने को यही जंगल मैं हरे हरे घास है यही रो और मजे से खाओ।

उस दिन के बाद ऊंट भी सिंह के साथ व्हे जंगल मैं रहने लगा एक दिन सिंह की लड़ाई एक विशाल हाथी से हुई। सिंह बहुत ही अधमरा होचुका था।

सिंह बहुत कमजोर होगया था क्युकी वो शिकार करना छोर दिया था। उसने अपने चेलो से कहा जाओ मेरे लिए कोई शिकार की तलाश करो जिसको मैं आराम से मर कर खा सकू। तोता और गिदर  दोनों जंगल की ओर निकल पड़े बहुत देर शिकार की तलाश मैं होने के बाबजूद उसे कोई शिकार नहीं मिला।

तभी तोते ने गीदड़ से कहा -एक बात बोलू क्यों न हम उस ऊंट का ही शिकार करे। गीदड़ ने बोलबाट तो तुम्हारे ठीक है। तभी दोनों सिंह के पास गए और बोले स्वामी हम दोनों ने पुरे जंगल छान मारा हमे कुछ भी नहीं मिला। हमलोग इतने कमजोर होगये है की अब एक कदम भी नहीं चला जा रहा मुझसे। अब तो मुझे आपकी दसा भी देखि नहीं जा रहे अब तो लगता है हमे ऊंट को ही मर कर खाना पड़ेगा।


तभी ये बात सुनते ही सिंह गुस्सा होगया और गीदड़ - पापी अगर आगे से ऐसे शब्द निकले तो सोच लेना मैं तेरा प्राण लैलूंगा। तुम्हे पता नहीं है मई उसे अभय दान दे चूका हूँ।


गिडार बोलै स्वामी मैं आपको उसे मरने को नहीं कह रहा वो खुद अपनी प्राण की भेठ लेकर आपके पास आएगा। अगर आप ही भूके मर जायेगे तो हमलोग का क्या होगा।

स्वामी का रक्षा करना ही धर्म है। ये बात सुनकर सिंह सोचने लगा  इसकी शै है तभी सिंह ने गीदड़ से कहा ठीक है तुम्हे जो अच्छा लगे  अप्पति नहीं है।


सिंह बहुत भूका था वो तोते से कहा कुछ करो मेरे लिए बहुत जोर की भूक लगी है।  तोते ने सिंह  स्वामी आप मुझे खाकर अपनी भूक शांत कर लो ताकि मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो।

तभी गीदड़ ने कहा अरे वो तोते तुम ित्तु सा तो है ही तुम्हे  स्वामी का पेट नहीं भरने वाला तुम्हे शरीर मैं मांश है ही नहीं। आप एकक काम करो स्वामी आप मुझे खा लो। ये सब बात ऊंट सुन रहा था वो सोचने लगा सबलोग अपना स्थान बना  स्वामी के पास। वो सोचा सयद मुझे भी ऐसा करना चाहिए।


ऊंट ने गीदड़ से कहा भाई तुम हट जाओ तुम्हरे शरीर मैं बिषालये नाख़ून है। मैं स्वामी को अपना शरीर अर्पण करुगा।  ये बात  गीदड़ और तोते बहुत खुश हुए वो इसी अवसर की इंतज़ार कर रहे थे।

ऊंट ने सिंह से कहा स्वामी आप मेरे मांश खा कर अपनी भूख सांत कर लीजिए। इतना सुनते ही गीदड़ उसपे टूट पड़ा और उसे चिर फाड़ दिया। सिंह  भी जानवर उसपे टूट पड़े और सभी ने उसे खा लिया।


यह कथा moral stories in hindi सुनकर यही शिक्षा मिलती है की छल -कपट भरे वचन सुनकर उसपे भरोषा नहीं करना चाहिए।


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बहुत समय पहले की बात है। एक मकांड नाम का आदमी जंगल गया था जलावन लेन के लिए। वो जब लकड़ी काट रहा था। तभी उसकी नजर एक तेज़ रौशनी पे पड़ी वो तुरंत  चमकती हुई रौशनी की और गया वो जब पास जेक देखा तो उसे jadui chakki जादुई चक्की पे नजर पड़ी।

वह तुरंत उस सोने की चक्की को लेके अपने घर चला जाता है और अपनी पत्नी को बुलाता है अरे वो श्याम की माँ जल्दी इधर आना।  उसकी पत्नी दौड़ी उसके पास आती है और उससे बोलती है क्या हुआ स्वामी।

देखो आज मुझे जंगल मैं क्या मिला है। उसकी पत्नी की नजर जब उस साइन की jadui chakki पे पड़ती है तो वो बहुत खुश हो  जाती है। लकिन तभी वो कहते है स्वामी लकिन हम इसे नहीं बेच सकते हम गरीब आदमी है अगर हम इसे लेके बाजार जाये तो दुकान वाला हमसे पूछेगा ये तुम कहा से लाये।


उसके मन मैं बहुत सारा सवाल था वो सोचने लग गया था अब हमारे गरबि मिट जायेगे तभी वो उस jadui chakki जादुई चक्की  को हाथ मैं लेके उसको घूमता है उस समय उसके मन मैं सोच रहा था अगर हम इसे बज़र मैं बेच पाते तो हमे खाने की दुःख कभी नहीं होती। बस उसी समय उसके पास बहुत सारा खाना आगया वो बहुत कुश होगया उसने अपनी पत्नी से कहा ये तो जादुई चक्की है।


उसकी पत्नी बहुत ही ज्यादा खुश थी क्युकी वो बहुत कुछ चाहती थी उसके पास बहुत सारा सामान हो वो अपने लिए ढेर  मंगवा चुकी थी। अब वो गरीब नहीं थी जब उसका जो मन होता था वो मंगवा लेते थी। घर सामने से भर चूका था।

दोनों पति पत्नी को जो कुछ भी  सबकुछ उसके पास आज्ञा  किसीभी  नहीं थी। वो दोनों अमीरो की जिंदगी जीने लगे थे। तभी  आदमी  अगर हम जंगल  नहीं जाते तो आज हमलोग   ही हमे ये जादुई  चक्की मिलती पत्नी ने कहा  बहार किसको खबर नहीं होनी चाहिए की हमलोग के पास एक जादुई चक्की jadui chakki है। 

मकांड सोचता है की क्यों न ठाकुर साहब की ली हुए कर्ज को चूका दिया जाये पत्नी बोलती है हाँ ये शै सोचा अपने। और वो उस चक्की को घुमा देते है उसके पास बहुत सरे पैसे आजाते है।  मकांड ठाकुर साहब के पास जाता है और अपनी सारि कर्ज को चूका देता है।  ये बात ठाकुर साहब को हजम नहीं होती है वो  गरीब है और ये एक साथ कभी नहीं मेरे पैसे को देता लकिन आखिर ये पैसे कैसे देदिया।

 ठाकुर साहब को  ये बात दिमाग मैं घूमते रहा वो रात का इंतज़ार कर रहा था जैसे ही रात हुआ वो  के घर गया और देखा  की उसके पास एक सोने की चक्की चक्की है और वो बहुत चमक रहे है।  ठाकुर सोचने लगा आखिर ये इसके पास कैसे आया।

 है की वो दोनों लो जो चाहिए उस चक्की को  के सबकुछ पा रहा है वो सोचने लगा ये तो मेरे पास होना था इसके पास क्यों है। अगर मैं ये चुरा लू तो मैं  आमिर हो जाऊंगा ये सोचते हुए वो अपने घर चला जाता है।

अगले दिन वो रात का  है  चक्की को उसके घर से चुरा लेता है।  और उस चक्की को घुमा के  मांग करता है ंलकिन उस चक्की ने कुछ नहीं नही दिया। ठाकुर कहने लगा ये बेकार है।

 वो  ठाकुर बोलने लगा मुझे तो इस चक्की से कोई फायदा नहीं हुआ। तभी चक्की से आवज  ठाकुर तुम बहुत लालची हो। तुम्हारे पास इतने धन है फिर भी तुम धन  मांग  रहे। तभी ठाकुर बोलता है तो वो दोनों के पास इत्ते धन कैसे आये। तो चक्की बोली वो दोनों कभी धन की लालच नहीं किये। और फिर जादुई चक्की  jadui chakki वह से गायब हो जाती है।


निस्कर्ष :

दोस्तों हमे इस कहानी से यही सिख मिलती है की हमे कभी भी लालच नहीं करना चाहिए  हमे जितनी है उतने खुश रहना चाहिए।

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