जब मैं दिल्ली सुबह के 5 बजे जा रहा था भूतिया घटना delhi Horror story in Hindi


horror story hindi

 जब मैं दिल्ली सुबह के 5 बजे जा रहा था भूतिया घटना Horror story in Hindi 

आज की कहानी की और उससे रोज शाम होते ही मैंने अपना सारा सामान पैक कर लिया था क्योंकि मुझे सुबह 5:00 बजे है। झांसी जो निकलना था।

 स्टेशन के लिए दरअसल मैं दिल्ली में जॉब कर रहा था। उस बात पर मुझे दिल्ली से मेरठ जाना था। फिर मैंने पूरी तैयारी के बाद खाना पीना खाकर सो गया, ताकि मैं सुबह जल्दी उठ जाओ और मैंने अपने फोन में अलार्म लगा दिया।

 सुबह के 4:00 बजे का साथ ही मैंने सोने से पहले अपने दोस्त को भी फोन करके बोल दिया था कि वह 22:00 पर स्टेशन पहुंच जाए क्योंकि वह भी है। मेरठ की जा रहा था।

 दोस्त को फोन करने के बाद मैं चादर ताने आराम से सो गया और सुबह 4:00 बजते ही अलार्म बजा जिससे मेरी आंख खुली और मैं उठा फ्रेश होने के बाद में तैयार होकर घर पर 5:15 बजे घर से निकला तो उस वक्त रास्ते में पूरी तरह ख़ामोशी छाई हुई थी। 

मैंने इधर उधर देखा शायद कोई रिक्शा मिल जाए, मगर कोई दिखाई नहीं दे रहा था। फिर मैं व्यक्ति की तलाश में आगे बढ़ने लगा और यूं ही पैदल चलते चलते 1 किलोमीटर तक पैदल आ गया। पर कोई भी रिक्शा अभी तक मिला नहीं था। पर मैं किसी की तलाश में आगे ही बढ़ता रहा। 

अब मैं चलते चलते हैं। एक एक पेड़ के नीचे से गुजर रहा था। पीपल का पेड़ था। साथ ही पड़ा कि ताकि मेरे बढ़ते कदम एकदम शुरू करें क्योंकि मुझे ऐसा लगा कि कोई और भी मेरे पीछे है। 

 कोटा हाईवे पे लड़की मांगती है लिफ्ट एक भूतिया कहानिया इसे पढ़े 

Bhutiya Railway Station Delhi Kahaniya 

जब मैं पीछे पलटा तो वहां पर कोई भी नहीं ऐसा होता तो मुझे थोड़ा डर लगने लगा। तभी मेरी नजर के ऊपर की तरफ से जहां मैंने देखा कि कोई था एक गाड़ी से दोस्ती दाढ़ी पर खुदा मगर वो क्या था, साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था, जिसमें धड़कन और भी तेज हो गई। मैं बिना देरी किए वहां से चलने लगा।

 मैंने खुद खत्म पड़ा ही थे कि मेरे सामने एक आदमी। क्या हुआ जिसका चेहरा बहुत ही पहन रखा और अपनी बड़ी बड़ी आंखों से गोरी जा रहा था, उससे तन को अपने पास खड़ा दे।

 मैं तो पसीने से लथपथ हो गया और हाथ पाव भी लेकर आने लगे थे। फिर समझ नहीं आ रहा था। अब मैं क्या करूं कि तभी वह शैतान मेरी ओर बढ़ने लगा। उसे आगे बढ़ता देख मैंने अपना दाया हाथ उठाते हुए कहा, मुझे जाने दो छोड़ दो। 

मुझे मैंने इतना कहा ही था कि उससे डालने मेरे हाथ में जोर से हाथ मारा जिससे मेरी उंगली से अंगूठी निकालकर नीचे गिर पड़े और अंगूठी के दो टुकड़े हो गए।

 अंगूठी में हाथ मारते हैं। खेतान! कहां पर गायब हो गया उसके घर होते ही मैं तेजी से भागा जहां आगे जाकर मुझे एक रिक्शा मिला और सीधी में स्टेशन पर पहुंचा।

 मुझे परेशान होता देख मेरे दोस्त ने पूछा तो मैंने सारी बात उसी बताई तो उसने कहा कि दरअसल उस पेड़ पर उस आदमी की आत्मा रहती है और तुम्हें पीछे पलट कर नहीं देखना चाहिए था। वह तो अच्छा तुम्हारी अंगूठी पर खूब लिखा था और उसके छूते ही वह भाग गया।

 उस अंगूठी नहीं, तुम्हारी जान बचाई है। सब चांदी के बाहर हुआ तो था ही, पर कुछ देर बाद मुझे राहत भी मिल गई और तभी हमारी के। 

जहां से हम मेरठ के लिए रवाना हो गए तो दोस्तों इस कहानी में बस इतना ही तो मैं आपका दोस्त राजकुमार जल्दी मिलूंगा तब तक के लिए बाय टेक केयर। 

 

 

 

chudail ki kahaniya,bhootiya kahaniya,bhooto ki kahaniya,latest kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,panchatantra ki kahaniya,hindi kahaniya,kahani,bhutiya kahani,bhootiya kahani,darawani kahaniya,horror kahaniya,bhootiya,hindi horror kahaniya,moral kahaniya,chudail kahani,chudail ki kahani,hindi kahani,horror kahani,moral kahani,latest bhootiya kahaniya,bhutiya kahaniya,kahaniya bhutiya,bhutiya kahaniyan,bhootiya kahaniya in hindi,bhootiya kahaniya in hindi new,chudail ki kahani bhutiya

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Close Menu